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Meetzz Jagtap

Abstract Inspirational

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Meetzz Jagtap

Abstract Inspirational

पुकार

पुकार

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है तेरी क्या रज़ा, ये मुझे मालुम नहीं,

सामने तेरे सर झुकाये, आज खड़े हैं हम सभी,

है बहुत बेबस और लाचार,


हो रही है बहुतों की जाने निसार,

सुन लो अब प्रार्थना हमारी,

क्षमा कर दो अब गलतियाँ सारी,

मानते हैं हम में इल्म हैं हज़ार,


पर अब न हमसे और हो नाराज़,

दिल है इतना बड़ा और हो तुम उदार,

आज फिर से एक बार सुन ले हम सबकी पुकार,

सदा हम रहेंगे तेरे कर्ज़दार।


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