उड़ान
उड़ान
मत पूछो नीले आसमान में उड़ते उस
परिंदे से कि कहाँ है तुम्हारी मंज़िल,
मंज़िल तो वो पहले ही तय कर चुका है,
बस सफर तय करना अभी बाकी था,
आँखों मे सपने लिए दिल में उमंगें
लिए हज़ार, भर ली उड़ान,
लेकिन घेर लिया काले बादलों ने,
गर्जन की तूफ़ान ने,
देखी इक इमारात और बैठ गए खिड़की पर,
लेकिन ख़याल आये बहुत बुरे,
सोच सोच में बस ये कहा कि,
ऐ खुदा क्यों दे दीं इतनी चुनौतियाँ,
आसान कर देता ज़रा तू रास्ता,
तो पहुँच जाता जल्द ही अपनी मंज़िल,
अन्धकार अब हो रहा था,
गर्जन से दिल दहल रहा था,
सहमते हुए रात काटी,
फिर दी नई सुबह ने एक दस्तक,
अहसास हुआ मुझे, कि तराश दिया इस तूफ़ान ने
और बना दिया इक नयी उड़ान के काबिल।