नारी - एक असीम शक्ति
नारी - एक असीम शक्ति
कितने हैं रूप तुम्हारे और हर एक रूप है कुछ निराला,
भोर का वो उगता सूरज देता है सबको इक आस,
ऐसे ही तुम हो कुछ बहुत खास,
क्या तुमको है इस बात का है अहसास?
जहां छायी हो मायूसी और दिलों में घर कर गयी हो उदासी,
जहां तेज़ हवाओं से बुझ जाते हैं दीपक और हो जाता है अंधियारा,
वहाँ तेरे होने से ही मिलती है हिम्मत और रौशन हो जाता है हर गलियारा,
हों अगर कभी आंखें तुम्हारी नम और कभी अगर बिखरने लगो तुम,
थम जाएं अगर तुम्हारे कदम, तो संदेह मत करना अपने पर तुम,
कभी ये मत सोचना कि क्या है तुम्हारी हस्ती?
अपनी सोच से ही कर देती हो संभव सबकुछ, तुम हो जीवन का आधार,
आंखों में खूबसूरत सपने जो पिरोये हैं तुमने,
तुम्हारे अंदर है वो क्षमता जो करदे सपनों को साकार,
तुम हो अनादि और तुम में है असीम शक्ति।