Vigyan Prakash
Romance
तू पुकार है,
किसी और वक़्त में,
दी हुई आवाज की गूँज,
जो आज लौट आई है,
टकराकर,
उन पहाड़ों से,
जिनमें उन्हें खो जाने को,
भेजा गया था।
अंजान हथेलिया...
अभिमन्यु
मणिकर्णिका
स्पर्श
भारत
मेरे मरने के ...
कुत्तों का शत...
खत अब गैर जरु...
देवता आते हों...
यादें चोरी कर...
चांद को देखकर मै शरमाने लगी क्योंकि उसमें तेरे अक्स को निहारने लगी। चांद को देखकर मै शरमाने लगी क्योंकि उसमें तेरे अक्स को निहारने लगी।
थोड़े से व्यस्त रहने लगे हो, लगता है एहसासों से परे रहने लगे हो,।। थोड़े से व्यस्त रहने लगे हो, लगता है एहसासों से परे रहने लगे हो,।।
खुश तेरे साथ रहेगे। तेरी खुशी मे शामिल, तेरे दुखों को रब से माँग लेगे। खुश तेरे साथ रहेगे। तेरी खुशी मे शामिल, तेरे दुखों को रब से माँग लेगे।
छोड़कर आना सारे रियासत, रिवायत तुम मुझे फिक्र नहीं इस जालिम ज़माने की। छोड़कर आना सारे रियासत, रिवायत तुम मुझे फिक्र नहीं इस जालिम ज़माने की।
सजाया था एक ख्वाब उसकी हँसी से घर को सजाने का। सजाया था एक ख्वाब उसकी हँसी से घर को सजाने का।
मैंने खुद ही खुद की जान जोखिम में डाला है उनके आंखों में डूब जाने की तमन्ना ने मुझे मैंने खुद ही खुद की जान जोखिम में डाला है उनके आंखों में डूब जाने की तमन्ना ...
महकते गुलशन से, ख़ुश्बू चुरानी है, तेरी दास्तानें मुझे, हर-सू सुनानी है। महकते गुलशन से, ख़ुश्बू चुरानी है, तेरी दास्तानें मुझे, हर-सू सुनानी है।
खुदा सलामत रखे तुम दोनों को हमेशा एक तुम और एक मुस्कुराना तुम्हारा। खुदा सलामत रखे तुम दोनों को हमेशा एक तुम और एक मुस्कुराना तुम्हारा।
मिलन न सही, पर दुरिया नहीं हो मैं और तुम अकेले नहीं सिर्फ हम ही हो।। मिलन न सही, पर दुरिया नहीं हो मैं और तुम अकेले नहीं सिर्फ हम ही हो।।
सुनो तो कुछ कह जाता है मौसम बिन बोले ही, यूं ही भिगो जाता है मौसम। सुनो तो कुछ कह जाता है मौसम बिन बोले ही, यूं ही भिगो जाता है मौसम।
तू दूर है मुझसे, क्या करूं? तुझे याद करूं या दुआ करूं? तू दूर है मुझसे, क्या करूं? तुझे याद करूं या दुआ करूं?
न मालूम है, न जानना है मुझे कभी। न मालूम है, न जानना है मुझे कभी।
मद्धम - मद्धम सा नशा ,आँखों में है बसा .... तेरी खुमारी अभी तलक ,ढूँढे उसी घर का पता। मद्धम - मद्धम सा नशा ,आँखों में है बसा .... तेरी खुमारी अभी तलक ,ढूँढे उसी घर क...
मैं तुम्हें याद करूं शामो-शहर मेरी यादों का भी तुझ पर असर आए। मैं तुम्हें याद करूं शामो-शहर मेरी यादों का भी तुझ पर असर आए।
बिना रिश्तों वाला प्यार अब ज्यादा सुहाना लगने लगा है। बिना रिश्तों वाला प्यार अब ज्यादा सुहाना लगने लगा है।
आषाढ़ की वह गीली शाम बारिश का तेरे गालों से फिसलना ! आषाढ़ की वह गीली शाम बारिश का तेरे गालों से फिसलना !
चाहत और इबादत दोनो होगी तू चाहे या ना चाहे तुझे ही मेरा रब करना है। चाहत और इबादत दोनो होगी तू चाहे या ना चाहे तुझे ही मेरा रब करना है।
तू ही तू है सब और "राही" में तो कही है ही नहीं। तू ही तू है सब और "राही" में तो कही है ही नहीं।
राह देखत कट जाये रतिया बाती जलत दिन रात सवरियां। राह देखत कट जाये रतिया बाती जलत दिन रात सवरियां।
हमनें तो हरदम उसके ज़ख़्म पर मरहम ही लगाया है। हमनें तो हरदम उसके ज़ख़्म पर मरहम ही लगाया है।