भारत
भारत
मैंने कॉपी से फाड़ा एक कागज
कागज पर लिखा बिहार
और एरोप्लेन बना कर उड़ा दिया।
कागज पहुंचा अस्सी घाट,
गंगा आरती की उधेड़बुन में
किसी ने उस पर लिखा बनारसी
तो किसी ने यू पी
और फेंक दिया गंगा जी में।
बहते बहते वो पहुँचा बंगाल
जहाँ किसी ने लिख दी बंगाली।
और फिर समुंदर तट से होता
वो पहुँचा निचे की ओर
जहाँ किसी ने मलयालम में
लिख डाला कर्नाटक।
ऐसे ही उड़ते बहते
हर जगह का नाम आया उस पर।
फिर जाने कैसे दिल्ली में
हाथ किसी मंत्री के लगकर
लिखवा लाया दलित।
उसको देख के कागज छीन
कोई लिख आया क्षत्रिय।
ब्राह्मण कैसे पीछे रहते
वो भी अपना नाम लिखा आये।
धीरे धीरे घूमते फिरते
लौट आया वो मेरे छत पे
मुड़ा वुड़ा मुर्झाया सा
मैंने सब नामों को घेर
लिख डाला भारत।