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Vigyan Prakash

Others

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Vigyan Prakash

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खत अब गैर जरुरी है?

खत अब गैर जरुरी है?

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किन्ही रोज़ जो डाकिया

अखबार वाले सा हर रोज़

गलियों में दस्तक दिया

करता था

आजकल, नज़र नहीं आता।


कभी जो खत 

प्रेमिका के चेहरों से पढ़े जाते थे

अब अखबारों जैसे

बस सरसरी निगाह चलाई

जाती है उन पर।



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