Vigyan Prakash
Abstract
टीले वाले मंदिर में
शाम की आरती होती है
और बजती है घंटी
जिसे सुनकर दादीजी
खोल देती है
घर की सारी खिड़कियाँ
की अब उनके देवता
घर आते होंगे।
अंजान हथेलिया...
अभिमन्यु
मणिकर्णिका
स्पर्श
भारत
मेरे मरने के ...
कुत्तों का शत...
खत अब गैर जरु...
देवता आते हों...
यादें चोरी कर...
यदि हमारे जीवन में रात्रि के बाद दिन के क्रम यदि न आते जाते। यदि हमारे जीवन में रात्रि के बाद दिन के क्रम यदि न आते जाते।
रावण के प्रश्नों का कोई उत्तर मेरे पास न था सच में रावण हर युग में विद्यमान था,है और रावण के प्रश्नों का कोई उत्तर मेरे पास न था सच में रावण हर युग में विद्यमान ...
सहता हूँ ये सूनापन, शोर के इस बाज़ार में भी सहता हूँ ये सूनापन, शोर के इस बाज़ार में भी
इतराती खिलखिलाती बिटिया अभी फ़र्ज़ निभाती है, लाडो अब घर नहीं जाती मायके जाती है। इतराती खिलखिलाती बिटिया अभी फ़र्ज़ निभाती है, लाडो अब घर नहीं जाती मायके जात...
ऋतु, रंग, राग समय का है, अभिमान तो तू ना कर जरा। ऋतु, रंग, राग समय का है, अभिमान तो तू ना कर जरा।
लीन प्रकृति में हम सभी शुक्रगुज़ार,संतुष्ट हम सदा रहें। लीन प्रकृति में हम सभी शुक्रगुज़ार,संतुष्ट हम सदा रहें।
ज़िम्मेदारी जो मिले तो आफ़त नज़र आती है। ज़िम्मेदारी जो मिले तो आफ़त नज़र आती है।
जिंदगी क्यों अब भी टिमटिमाती हुई जलती है जिंदगी क्यों अब भी टिमटिमाती हुई जलती है
पुरुष जड़, स्थिर कोल्हू हो सकता है लेकिन स्त्री उर्वरा धरती है चाहे भी तो ठूँठपन नहीं पुरुष जड़, स्थिर कोल्हू हो सकता है लेकिन स्त्री उर्वरा धरती है चाहे भी तो ठूँ...
तुम्हें ही ऐसा क्यों लगता है, हमें सिर्फ़ तुमसे ही प्यार है। तुम्हें ही ऐसा क्यों लगता है, हमें सिर्फ़ तुमसे ही प्यार है।
कल क्या होगा कल देखेंगे जीवन चिंता मुक्त बिताओ कल क्या होगा कल देखेंगे जीवन चिंता मुक्त बिताओ
वही वहम के अगले पांच साल ! फिर फिर जाने कब तक ! अंतहीन ! वही वहम के अगले पांच साल ! फिर फिर जाने कब तक ! अंतहीन !
एक अलग ही छवि बनती है परम्परा भंजक होने से, एक अलग ही छवि बनती है परम्परा भंजक होने से,
चिर परिचित हूं मैं भी तेरा, मुझ पर भी विश्वास तू कर। चिर परिचित हूं मैं भी तेरा, मुझ पर भी विश्वास तू कर।
और मैं तुम्हें निरखता पीछे-पीछे तुम्हें मालूम नहीं ! और मैं तुम्हें निरखता पीछे-पीछे तुम्हें मालूम नहीं !
तुम इतनी याद हो,की मुझे मैं ना याद हूँ ! मुझे तो सब याद है,क्या तुम्हें याद है ! तुम इतनी याद हो,की मुझे मैं ना याद हूँ ! मुझे तो सब याद है,क्या तुम्हें याद ...
जब आयी धरा पर सब रोये खुशियों से आँचल भिगोये जब आयी धरा पर सब रोये खुशियों से आँचल भिगोये
बिना किसी सबूत के ही हम कुछ शिकायतों के शिकार हो गये. बिना किसी सबूत के ही हम कुछ शिकायतों के शिकार हो गये.
भाई - दोस्त जिसको समझा वो ही दुख दर्द दे गया भाई - दोस्त जिसको समझा वो ही दुख दर्द दे गया
मेहनत कर और थोड़ा जोर लगा और तू चल, इतिहास को पलट कर। मेहनत कर और थोड़ा जोर लगा और तू चल, इतिहास को पलट कर।