अंजान हथेलियाँ
अंजान हथेलियाँ
दो खत भेजने के बीच कितना वक्त होना चाहिए?
शायद उतना जितना खतों को लिखने में लगे…
और फिर खतों को लिखने में वक्त लगता भी तो है।
दो मेसेज के बीच कितना वक्त होता है?
शायद कुछ सेकेंड या कुछ मिनट कभी…
खतों में एक अरसा बीत जाता है!
और फिर खतों में सब कुछ लिखा होता है।
पिछले खत से अब तक हुई सारी बातें,
पिछले खत का जवाब, दिल में उठती कहानियाँ,
मन में उठते सवाल और सबसे जरुरी लौटती डाक से जवाब भेजने की लाईन,
“जवाब लिखना… इंतजार रहेगा…”
दो सितारों के बीच कितना फासला होता है?
शायद एक हथेली से भर जाये उतना…
और अगर एक हथेली से ना हो तो दूसरी खोज लो…
दो अंजान हथेलियां किसी भी फासले को भर देती है…
खतों की अपनी दुनिया होती है
जहाँ उनके अपने किस्से, कहानियाँ, जिन्दगी होती है।
देखा है कभी दो खतों का प्यार?
दो खतों के बीच जो वक्त होता है उसमें दो लोग ही बेचैन नहीं होते
दो कागज के टुकड़े भी बेचैन होते हैं या शायद होते थे…
एक पच्चीस पैसे का टिकट लगा लिफाफा
जाने कितने ही अनमोल खयालों को ले जाता था…दिन, दो दिन, या सप्ताह?
दूर पास के कितने ही खतों ने कितने ही खालीपन को भर दिया।
दो सितारों के बीच का खालीपन…
कितना वक्त लेना चाहिए दूसरा खत लिखने के बीच
?कितना वक्त बीत जाता है दो पूरे चांद होने के बीच?
शायद एक जीवन जितना…