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अजय '' बनारसी ''

Abstract

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अजय '' बनारसी ''

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पत्थर

पत्थर

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गाँव से गुजरने वाले 

रास्ते का पत्थर

जो दिखने में हैं सिर्फ़

एक पत्थर 


जो है किसी की याद दिलाता 

रोता है , चिल्लाता हैं 

लोगो को है रुलाता 


किसी ने कहा है

पत्थर संगदिल होते हैं 

अरे ! कोई तोड़कर देखे 

उसके भी अपने दिल होते हैं 


जो रहते हैं किसी के 

इंतज़ार में तत्पर 

गाँव से गुजरने वाले

रास्ते का पत्थर।


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