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Jyoti Verma

Romance

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Jyoti Verma

Romance

पत्र जो लिखा ,मगर भेजा नही

पत्र जो लिखा ,मगर भेजा नही

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पत्र जो लिखा, मगर भेजा नहीं 

पत्र जो लिखा, मगर भेजा नहीं 

कि बहुत कुछ जो दिल मे छुपा था 

लिखा मगर कहा नहीं

पास आ के भी दूर थे हम।


दूर रह के कितने करीब थे हम

मन ही मन ,सोच के तुम को

मुस्कुराते थे हम

अजब कशमकश थी

मिलने की जद्दोज़हद थी

पास आते ही ,न जाने क्यूँ 

बिखर गए वो 

बुने थे जो ताने - बाने 

ऊहा-पोह में।


सब टूट गए वो

समेटने को उनको

सोचा था लिख के

कह डालूँ सब 

बैठ के लिखा भी पत्र हमने 

मगर भेजा नहीं, ये सोच के 

कि कहीं खो न दे 

तुमको हम 

 कहीं खो न दे 

तुमको हम।


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