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Rajendera Suthar

Children

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Rajendera Suthar

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पतंग

पतंग

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पतंग जो है उड़ती

खुले आसमान में 

पक्षियों की तरह 

मगर फिर भी है भिन्नता

है स्वतंत्र पक्षी पर 

पतंग है बन्धन में

पतंग का उड़ना निश्चित है 

है सीमा पतंग की

पक्षी जो उड़ते उड़ते ही 

जाते चले

बिना सीमा घूम चले 

कहीं से कहीं जाते चले

पर पतंग है गुलामी की डोर में

जिधर डोर घूमती चलती हवा 

उधर दौड़ लगाती पतंग

जैसे दासता को सहते लोग

हाल होता पतंग जैसे

पतंग की है पीर

जो होती पराए हाथों में

डोर से नाच नाचती 

जैसे राजघराने में 



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