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Rajendera Suthar

Others

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Rajendera Suthar

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कोहरे की मार

कोहरे की मार

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भोर हुई तो कोहरे से अटा था आसमान

सब तरफ जैसे अंधेरा हो

जिंदगी चल रही अपने सफर की तरफ

ठंड भी साथ कोहराम के साथ,

सब तरफ ठिठुरते लोग

कोई कुछ करने को आतुर पर

ठंड की मार सहते

जैसे जा रहे अपने मंजिल की तरफ

करते न कुछ ठाली बैठे आशियाने में,

सूर्य भी छिपा सा

नाम नहीं निकल पड़ने का

सब ताकते उसकी तरफ,

आग का आसरा

सहारा ही उसका,

फिर भी सूर्य की किरण को आतुर

रहते मौन करते इंतज़ार उसका,

इतने में कहीं से बादल हटे

सूर्य की किरण दिखी

आंखों पर चमक आयी कहीं से

चेहरे खिल उठे।



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