पति का बटुआ
पति का बटुआ
प्रभु का है अपने भक्तों पर
उससे ज्यादा अधिकार ,
कई गुना भक्तों का प्रभु पर है हुआ,
कुछ बंटा नहीं पति-पत्नी का,
एक दूजे के सब सुख-दुख
पर दोनों का सम अधिकार हुआ।
भारत की पावन संस्कृति का यह तथ्य , सम्पूर्ण विश्व में जाहिर है,
सत्यवान के प्राण बचाने के लिए, सावित्री यम के सम्मुख हाजिर है,
भौतिक, नैतिक और बौद्धिक बल की,
युद्ध कला में पूरी माहिर है।
ऐसी अगणित नारी वसुधा ने जनीं,
जन मानस जिन पर गर्वित है।
जन्म-जन्म का यह त्याग का बंधन,
इसे नहीं स्वार्थ ने तनिक नहीं छुआ।
प्रभु का है अपने भक्तों पर उससे ज्यादा अधिकार....................
वर्षगांठ उत्सव पाणिग्रहण का ,
पाश्चात्य संस्कृति का अनुपम संस्कार है,
बिन डाइवोर्स साल होए पूरा ,
अति उत्तम और मनाने योग्य त्यौहार है।
सात जन्म का अटूट ये बंधन,
अपनी सनातन संस्कृति से हमको प्यार है,
अन्धानुकरण बिन तर्क किसी दूजे का , उचित नहीं और एकदम ही बेकार है।
प्रभु का है अपने भक्तों पर उससे ज्यादा अधिकार.............................
