पथिक
पथिक
मैं हूँ कौन ! एक पथिक।
जो चला जा रहा है,
अपने पीछे कुछ छोड़ के, बहुत कुछ छोड़ के
सीमाओं पर देश की, एक पथिक।
जो चला जा रहा है
वो बर्फ़ानी सर्द रातों में,
वो धधकती रेतीली बवंडरो में ,
वो समुद्री तूफानों में, एक पथिक।
जो छोड़ गया है पीछे,
अपनी बहन की विदाई के आँसू , भाई की यारी।
होली के रंग, दिवाली के दीप,
माँ के आँचल की छाँव,
बाप की मीठी डाँट, एक पथिक।
जो चला जा रहा है कि किसी और की ना छूटे,
वो दुनिया जो मैं छोड़ के जा रहा हूँ।।