पथ-प्रगति
पथ-प्रगति
किसी के भी द्वारा आगे बढ़ने के लिए गलत राहो को चुनना बिल्कुल गलत है क्यों की
वह लौटकर उसी का नुकसान करती है।
पथ प्रगति पर दूश्चिंताओं ने घेरा
कुछ करने की जिद में गलत राहों को छेड़ा,
हाय! काले काले कलंक लगा के
सिर को ढंक लेना सीखे कोई इनसे ।
राग रंग में रंगे हुए
भूल भुलैया में फंसे हुए ,
मन को मैला किए हुए
तन पे चंदन मले हुए।
जो है नहीं उसे बतलाते है
जीवन की नैया में गोते खाते है,
दानव बने जो मानव
खुद को सफल वे बतलाते है।
पथ प्रगति पर देखो, बढे़ उन हाथों को
पत्थर तोड़ राह बनाते उन बाजुओं को,
तोडे़ पत्थर कि तोड़ते अपने कर
हाय! मन की कसक निकाले तो किस पर ।
पथ प्रगति पर बढ़ने को आतुर
बन रहे इस तरह चतुर,
जो है नहीं वो बतलाकर
बहकाए सौ तरह के चक्कर चलाकर।
पथ प्रगति पर बढ़ने को हो जाओ तैयार
जीवन में दांव पेंच से ना घबराओ
जो है नहीं ,जो था या जो होगा ना सोचकर,
बढ़ो आगे, जो है सामने उसी में सही विकल्प खोजकर।
