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ayushi bhaduri

Romance Tragedy

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ayushi bhaduri

Romance Tragedy

पता नहीं

पता नहीं

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पता नहीं फिर कब वो हसीन मुलाकातें होंगी

पता नहीं फिर कब वो छोटी-छोटी नोक झोंक होंगी

पता नहीं कब ये लब फिर से अपनी चुप्पी तोड़ेगा

पता नहीं फिर कब तेरे चेहरे को छूकर यह दिल मुस्कुराएगा ।


पता नहीं यह पल इतना ज़ालिम क्यों है?

पता नहीं जितनी बार मुस्कुराने जाऊँ 

ये मुझे रुलाता ही क्यों है ?

लगता है मुझे तरसाने के अलावा 

पल के पास कोई दूजा काम नहीं 

नसीब में मेरा तू होगा अब ये मुझे यकीन नहीं।


पता नहीं मैंने ऐसा कौन सा गुनाह किया है?

जिसकी सज़ा मुझे किश्तों में मिलती रहती है

पता नहीं आखिर ऐसा भी क्या गुनाह किया है

जो तेरी शादी किसी और के साथ होते हुए देखनी है

सच में पता नहीं मुहब्बत इतना ज़ालिम 

और बेरहम क्यों होता है?

उसी को छीन लेता है

जिसका ज़िक्र हर दुआओं में होता है।


पता नहीं वो शख्स कहीं खो क्यों गया

जिससे बातें खत्म नहीं होती थी

वो खामोश क्यों हो गया

जब प्यार इतना था उससे तो

वो छीन क्यों गया

शायद क़िस्मत खवा है मुझसे

तभी ख़ामोशी से मेरे गुरूर की हत्या कर गया।


पता नहीं मुहब्बत का खुदा इतना पत्थर दिल क्यों होता है

उसी का दिल तोड़ता है

जो शिद्दत से प्यार निभाता है।

पता नहीं था कि वाकेहि 

सच्चा प्यार इतना कमज़ोर होता है

तभी वक्त और किस्मत के छल के आगे 

अपना दम तोड़ ही देता है।



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