STORYMIRROR

ayushi bhaduri

Inspirational

4  

ayushi bhaduri

Inspirational

किन्नर भी तो इंसान है

किन्नर भी तो इंसान है

2 mins
313

खुदा का एक नायाब करिश्मा हूँ

नर और नारी दोनों हूँ

यूं तो देते हैं हम शिशुओं को ढेर सारी दुआएं

लेकिन हमारी ज़ात को मिलती सिर्फ़ बद्दुआएं।


अब तो आपलोग समझ ही गए हो

कि मैं कौन हूँ?

मैं किन्नर हूँ किन्नर जिसकी इस

आधुनिक समाज में कोई इज़्ज़त नहीं।

कोई मुझे ट्रांसजेंडर कहता है तो कोई मुझे शिखंडी की औलाद कहता है

तो कोई मुझे ज़लील करता है बोलकर "छक्का","छक्का"।


पुराने ज़माने में हमारी काफ़ी इज़्ज़त थी

तभी तो महाभारत जैसे युद्ध को जिताने में श्रीकृष्ण भगवान ने हमारी सहायता ली थी।


आज हम किन्नरों की ज़रा सी भी इज़्ज़त होती

तो क्या हमें कभी स्टेशन तो कभी सिग्नल पर दो दो सौ रुपए के लिए भीख मांगनी पड़ती?


मैं अनपढ़ नहीं हूँ

आप ही लोगों की तरह ग्रेजुएट हूँ

लेकिन खड़े नहीं हो सकते हैं हम आपकी बरा बरी में

आपलोगों के इज़्ज़त को ठेस पहुंचती है एक किन्नर के साथ एक ही ऑफ़िस में काम करने में।


माना कि हमारा शरीर है अधूरा

पर इंसान तो हमें बनाया गया है पूरा

तो दुःख भी तो हमको नसीब होता होगा आपलोग की तरह पूरा?


मैं औलाद भले ही पैदा नहीं कर सकती हूँ

पर अनाज तो पैदा कर ही सकती हूँ 

दिन रात मेहनत कर डॉक्टर, इंजीनियर या टीचर तो बन ही सकती हूँ

जैसे आपके औलाद को दुआएं देते हैं

वैसे आप सबके सुख दुःख के चिट्ठी डाकिया बनकर तो बांट ही सकती हूँ

फिर क्यों हमें भीख मांगनी पड़ती है? क्यों?


दुःख भी है तकलीफ़ भी है

हम मर्द भी है औरत भी है

आप सभी से करती हूँ बस एक ही विनती

अब तो आपलोग कर लो

इंसानों में हमारी गिनती।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational