ऐ भारत के वीर जवान, तुझे है हमारा कोटि-कोटि सलाम
ऐ भारत के वीर जवान, तुझे है हमारा कोटि-कोटि सलाम
ना रुके कभी, ना झुके कभी
ना हारे कभी, ना डरे कभी
मातृभूमि के रक्षा हेतु ना पीछे हटे कभी
हर हाल में देश के तिरंगे को ऊंचा लहराते रहे,
जान जाए या रहे, इसकी ना परवाह तुम किए कभी।
सो पाते हैं हम सुरक्षित हर रात को क्योंकि सरहद पर खड़े हैं हमारे वीर भानु,
जो कभी ना डगमगाए चाहे दुश्मन सेना कितने भी फोड़ ले परमाणु।
भारत के वीर लगा लेते हैं हर मुसीबत को अपने गले,
क्योंकि प्रेम है उन्हें अपने मातृभूमि से वश से परे ।
शत शत नमन उन्हें जो कांटों भरी झाड़ियों के बीच भी सम्हिलित हो जाते हैं,
बर्फीले तूफानों में भी निरंतर डंटकर सामना करते रहते हैं,
क्योंकि वे हर हाल में अपने तिरंगे को गर्व से ऊंचा लहराना जानते हैं।
अपने परिवार से वियोग की पीड़ा सहते हैं वे वर्षों तक,
तब जाकर शांति से रह पाते हैं हम अपने परिवार के साथ लंबे समय तक।
वो नहीं मना पाते खुशियों की त्योहार,
ताकि हमें मिल सके सुरक्षा की उपहार।
बेहद संघर्ष है वे करते बिना लांघे सीमा अपने धैर्य की,
यही तो मिसाल देते हैं उनके बेइंतहा शौर्य की।
वतन के लिए कर देते हैं वे अपनी जान तक न्योछावर,
क्योंकि बेहद गहरी है उनके देश के प्रति प्रेम और कर्तव्यों का सागर।
भले ही मौसम कितनी भी बदले करवटें,
नहीं आती वीरों के माथे पर डर की सिलवटें।
चाहे देश में कितनी भी विकट स्थितियां होजाए उत्पन्न,
हमारे वीर सैनिक बने रहते हैं हमारी ढाल, करके अपने फर्ज़ संपन्न।
भले ही गिरते रहे धरती पर आपके कीमती लहू,
लेकिन कभी दुश्मन सेना को नहीं करने देते देश पर काबू।
चाहे आए भीषण बाढ़, तूफ़ान आँधी,
वे निडर रहते हैं तानकर अपना छाती।
कर देते हैं वे अपने अनमोल जान तक को कुर्बान,
क्योंकि दिया है उन्होंने अपने भारत माता को सुरक्षा और गौरव का ज़ुबान।
तिरंगे में लिपटकर जब आते हैं देश के शहीद जवान,
जाते - जाते भी बड़ा जाते हैं अपने देश की शान।
आप सिर्फ़ "जवान" नहीं हो....
आप पूरे जहां की "जान" हो।
अगर रोज़ भर पेट खाना नसीब होता है तो शुक्रिया कहो "किसान" को,
और अगर शांति से रोज़ सो पाते हो तो शुक्रिया कहो "जवान" को।
"जय हिन्द"