प्रतीक्षा
प्रतीक्षा
प्रतीक्षा कभी
व्यर्थ नहीं जाती।
लगन सच्ची हो तो
राहें मंज़िलों तक
खुद -ब -खुद ले जाती।
प्रतीक्षा कभी
व्यर्थ नहीं जाती।
बीज बनता है
फिर तो फूटता है।
एक डाली से
विशाल पेड़ बनता है।
नन्ही -नन्ही कोपलों से
फूल बनने तक
कितनी प्रतीक्षा है करता।
फल भी कच्चे से
पकने तक
कुदरत की
प्रतीक्षा ही करता।
जिंदगी हर
शुरुआत से
मंज़िलों तक पहुंचने की
प्रतीक्षा ही करता।
प्रतीक्षा कभी
व्यर्थ नहीं जाती है।
जवाब मिलते हैं
अनगिनत प्रश्नों पे
सवाल मिलते हैं।
कभी खामोशी से
कभी शब्दों में
जो हालचाल मिलते हैं।
अपने दिल पर
हाथ रख कर
धड़कनों से जवाब लो।
भीतर के ईश्वर को
आवाज़ दो
उसी से समस्त प्रश्नों का
जवाब लो।
प्रतीक्षा कभी
व्यर्थ नहीं जाती
लगन सच्ची हो तो
मंज़िलें जिस राह से
होकर
मिलती हैं।
कभी-कभी मंज़िलें
उसी राह पर चलकर है आती।
