प्रतिबिंबित करता ये जीवन
प्रतिबिंबित करता ये जीवन
कुछ छिपता-सा या दिखता-सा
या मुझ को कुछ बतलाता-सा
है कर देता बेचैन मुझे
प्रतिबिंबित करता ये जीवन
ये कभी फूल, तो कभी स्वप्न
और कभी-कभी अनुशासन-सा
है कर देता बेचैन मुझे…..
ये कभी उदास, कभी बदहवास
और कभी-कभी एक अजब प्यास
नैनो में जल से संचित मेघ
या होठों पर रस-सी मिठास
है कर देता बेचैन मुझे….
मन के गलियारे में झाकूँ
तो पाती हूँ मैं खुद को पास
है एक प्रश्न हकलाता-सा
है एक प्यास तड़पाती-सी
ये एक पहेली या गायन
ये है उल्लास या है क्रंदन
जो कर देता झंकृत तन-मन
है कर देता बेचैन मुझे
प्रतिबिम्बित करता ये जीवन।
