STORYMIRROR

तृप्ति वर्मा “अंतस”

Inspirational

3  

तृप्ति वर्मा “अंतस”

Inspirational

स्वरक्षा-बंधन

स्वरक्षा-बंधन

1 min
40

तू न सहना, यूँ न रहना

स्वयं पर विश्वास रखना

है कोई जो कह सके कि तू है क्या?

तू स्वयं अपनी गति ,

आकार व् विस्तार लेना

एक राखी तू स्वयं को बाँध लेना.


न है माता, न पिता है

तेरे संग न कोई खड़ा है

भातृ, मातृ, भगिनी तथा सुत

है सभी अपने परन्तु,

जब समय ने खेल खेला,

कौन तेरे साथ झेला?


है जो रक्षा स्वयं होती,

बाकी सारी बातें थोथी,

राखी का ये पर्व पावन,

इस बरस कुछ यूँ मनाना,

एक राखी तू स्वयं को बाँध लेना.


हौसला जब तक है स्थिर,

प्राण इच्छा है सुरक्षित

जीवनी तेरी बहेगी,

आगे जाके तेरी गाथा

जब कभी दुनिया सुनेगी,

तू उसे अपने कृति से,

एक नव मुस्कान देना

एक राखी तू स्वयं को बाँध लेना


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational