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Pinki Khandelwal

Abstract Inspirational

4  

Pinki Khandelwal

Abstract Inspirational

प्रतिबिंब...।

प्रतिबिंब...।

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हमारे पीछे पीछे जो चलता,

अंधेरे में छुप जाता जो,

उजियारे में दिखता वो प्रतिबिंब हमारा,

कहता मुझे साथ हूं हर पल तेरे,

तुझ में अच्छाई और बुराई दोनों जैसी मिली,

वहीं मैं हूं तेरा अस्तित्व बन तेरी परछाई,

जो तू गलत करेगा उसका भागीदार मैं भी हूं,

क्योंकि तुझसे अलग भला कहां हूं मैं,


एक पल दोस्त साथ छोड़ दें,

तू अपनों से जुदा हो जाए,

पर मैं वो हूं जो मरते दम तक साथ हूं तेरे,

क्योंकि तुझसे बना तेरा प्रतिबिंब हूं मैं,

साथ साथ चलता हूं साथ ही बैठता हूं,

तुझसे बनी मेरी परछाई मैं तेरा ही तो प्रतिबिंब हूं,

जिस प्रकार असत्य सत्य का मुखौटा पहने,

उसी प्रकार मैं तेरे हर कार्य का हिस्सा हूं,

मत सोच तुझे कोई देखता नहीं,

क्योंकि मैं हर पल तुझे ही तो देखता हूं।



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