प्रश्न अनेक
प्रश्न अनेक
नर और नारी एक समान
कैसे ये बात बताओगे
नर को पुरुषोत्तम कहकर
नारी "सबला" कह पाओगे
प्रश्न खड़े हैं बहुत यहाँ
क्या उत्तर तुम दे पाओगे
इतिहास लिखे जो गाथाएँ
कब उनको तुम झुठलाओगे
याद तुम्हें वो रजक एक
जिसकी बातों से राम हिले
छोड़ दिया वन के भीतर
माँ सीता को बिना मिले
कब तक अग्नि शीतल होगी
सीता की आन बचाने को
कब तक कृष्ण पुकारेगी
द्रौपदी स्वलाज बचाने को
हे पुरुषश्रेष्ठ तुम दो उत्तर
नारी को इन सब प्रश्नों का
नर-दानव का संहार करो
धर रूप राम और कृष्णों का
अपनी जननी का ऋण उतार
अब तो मानव का रूप धरो
नर को नारायण मान सकें
कुछ ऐसा कोई काम करो।