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Neelam Sharma

Romance

4  

Neelam Sharma

Romance

प्रणय प्रस्तावना...

प्रणय प्रस्तावना...

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इन प्रफुल्लित प्राण-पुष्पों में, मुझे शाश्वत शरण दो प्रिय।

मरुस्थल को सु-उरस्थल बनाकर, सदानीरा तरण दो प्रिय। 


प्रणय पराग मधुर सरगम बना, उठी मम हृदय झंकार प्रिय।

शब्दों के सुमन भाव चितेरे!तुम शब्दों के फनकार प्रिय!


बंधन प्रियतम जोड़ लो मुझसे, यही आस अन्तस् में जगी। 

इसी आस में डूबे दिन-रैन सभी, संग आपके रहूँ मैं पगी॥


पुरवा बासंती पर लिखी, सुनो! प्रणय पाति शुभ भोर से। 

 शुभ्र कुमुदिनी नीलम नशीले!सुरमई दृग दल कोर से॥


कानों में कान्हा की मुरली, ज्यूँ सुनाती मधु राग नव छंद का।

मद में मैं सराबोर होकर, तुमसे रिश्ता बाँधूँ मधु बंध का॥


इति हुई तम भरी घन रातें, जब से प्रियवर तुम मनमीत मिले।

हुआ जीवन शुभ बसंत पंचमी!प्रेम प्रणय प्रणीत पुष्प खिले।


मृदु छुअन की कामना हुई, हिय सु-प्रणय प्रीति अराधना।

प्रेम उर मन्दिर बसे तुम पिया, नीलम पूरी हुई साधना॥


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