प्रणाम मातृ-शक्ति
प्रणाम मातृ-शक्ति
हे !मातृ-शक्ति तुझको प्रणाम,
हे !आदि -शक्ति तुझको प्रणाम
इस भवसागर से मुक्ति हित प्रचलित तेरे अगणित हैं नाम
तेरी शक्ति बिना शिव सम, जग में कहीं न उसका कोई काम
हे! मातृ शक्ति तुझको प्रणाम
माता का रूप लिया जब तूने,नौ मास सतत् सानिध्य मिला
मैं तेरे लहू पर निर्भर था, सह हर दर्द किया कुछ भी न गिला
निज जीवन दांव लगा के जना, मुझे गोद उठा सब दिया भुला
क्रोधित-शिशु बन झटके थे जो केश, गईं दर्द भूल तुझे हर्ष मिला
हर्षित हो शैतानी को सहा, दुख का मन में नहीं लेश नाम
हे! मातृ-शक्ति तुझको प्रणाम
सहचरी भाव भगिनी रूपी, सहोदरा रूप या मुॅ॑हबोली
शक्ति सदा सहारा दे, शुभ आशिष की निज गठरी खोली
क्रीड़ाएं कर सीखा बहु विधि, हमें मातृरूप गुरुमाता मिलीं
झगड़े भी बहुत हम मिलकर के, फिर सुमन बने कलियॉ॑ जो खिलीं
सुरभित हम जगत बनाएंगे, रोशन मॉं-बाप का करके नाम
हे! मातृ-शक्ति तुझको प्रणाम
भार्या रूप में दिया जब दिया साथ, तब पितृऋण से हमें उबारा
सहभागिता बिन अनुष्ठान अधूरे, वहॉ॑ चाहिए तेरा हर हाल सहारा
तनया तनय के साथ का संशय, हम इक दूजे का दृढ़ हैं सहारा
दो ज्योति मिल बने ज्योतिपुंज हम, दूर करेंगे जग का तम सारा
तन चाहे ये जुदा हो जाएं, पर आत्माएं साथ रहेंगी अविराम
हे ! मातृ-शक्ति तुझको प्रणाम।