प्रकृति सबकी जननी।
प्रकृति सबकी जननी।
हमारी दो माताएं,
एक ने पैदा किया,
और दूसरी ने पाला पोसा।
जो पालने पोसने वाली,
वो है प्रकृति,
वो हमें सांस लेने के लिए,
आक्सीजन देती,
खाने पीने के लिए,
फल, अनाज और जल इत्यादि देती,
जिससे हम स्वास्थ्य की,
आवश्यकताएं पुरी करते,
और तंदुरुस्त रहते।
अगर हो जाएं बीमार,
तो देती,
इलाज का सामान,
और चल पड़ते,
फिर से हाथ पैर।
यही है,
हमारी असली गुरु,
देती हमें बेजोड़ शिक्षा,
और बनाती हमें सभ्य।
हम करते इसे,
बहुत आहत,
अवैज्ञानिक ढंग से,
करके दोहन,
लेकिन ये नहीं कुछ कहती,
एक मां की ही,
खासियत होती।
ऐसी मां को,
शत शत प्रणाम,
जिस पे हमारा,
सारा दारोमदार।
