प्रकृति के तत्वों से गुजारिश
प्रकृति के तत्वों से गुजारिश
इस धरती पर सच्ची मुस्कान और सुगंध फैलाने वाले
पवित्र " फूलों "
मेरे साथ चलो
मुझे तुम्हें हर उस घर में ले जाना है
जहाँ हर पल उदासी और गम का आना जाना है
अपने इन पावन कदमों से
तुम उस घर में चले जाओ
उस घर के हर चेहरे पर
नई मुस्कान लाओ
फिर उस आँगन में खुशी का हर फूल खिलेगा
बदले में तुम्हें और मुझे भी
खुश रहने का आशीर्वाद मिलेगा
ए शीतलता के धनी "बादलों"
मेरे साथ चलो
तुम्हें उस बंजर जमीं को भिगोना है
हरियाली के बिना रहता
जिसका कोना- कोना है
तुम्हारे रिमझिम बरसने से
हरियाली वापस आ जायेगी
खुद पर रोने वाली वो बंजर जमीं
हरियाली के गीत सुनायेगी
निराश ,हताश लोगों के जीवन में
बसंत की बहार आयेगी
मेहनत करने वाले उन किसानों की
रोजी -रोटी उन्हें मिल जायेगी
रोते हुए चेहरे को भी
अपना आश्रय देकर खुशनुमा बनाने वाली
ए मासूम "हँसी "
मेरे साथ चल
मुझे तुम्हारी हर कदम पर जरूरत है
जहाँ झोपड़ी है, जहाँ महल है
जहाँ उदासी है, जहाँ खामोशी है
जहाँ तन्हाई है, जहाँ किसी की सगाई है
जहाँ किसी की जुदाई है, जहाँ लड़ाई है
हर किसी को तेरी जरूरत है
इस दुनिया में तू ही सबसे खूबसूरत है
चलकर सबको गले लगा ले तु
हर रूठे को मना ले तु
तू होगी तो कोई गम न होगा
तू होगी तो सफल हर जन्म होगा।