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मिली साहा

Abstract Inspirational

4.3  

मिली साहा

Abstract Inspirational

प्रकृति का रक्षण हमारा कर्तव्य

प्रकृति का रक्षण हमारा कर्तव्य

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पेड़ों को काटकर हम स्वयं के विनाश को दे रहे हैं आमंत्रण

भविष्य अंधकार हो जाएगा अगर ना लगा इस पर नियंत्रण


आखिर हम मनुष्य पेड़ों के साथ क्यों करते हैं क्रूर व्यवहार 

जीवन जुड़ा है इनसे हमारा फिर भी क्यों करते हैं खिलवाड़


विकासवाद की अंधी दौड़ में पेड़ों पे हो रहा क्यों अत्याचार

जिनसे मिलती प्राणवायु उन्हीं से मनुष्य नहीं करता है प्यार


एक तरफ कटते जा रहे पेड़ पौधे विनाश हो रहा प्रकृति का

दूसरी ओर ऑक्सीजन की कमी से अंत हो रहा जीवन का


वेंटीलेटर की ऑक्सीजन कीमती हुई आज मनुष्यों के लिए

आखिर हमने ही तो दावत दी है इस समस्या को अपने लिए


कभी सोचा है आने वाली पीढ़ी के लिए क्या बचा रहे हैं हम

पेड़ पौधे यूं ही कटते रहें अगर जीवन न होगा उनका सुगम


मानव जीवन का पूरा चक्र प्रकृति के चारों ओर ही घूमता है

फिर भी मनुष्य प्रकृति से क्यों अपनी वफा नहीं ‌ निभाता है


पेड़ों को काटने के लिए जब-जब मनुष्य कुल्हाड़ी उठाता है

तब-तब वो कुल्हाड़ी मनुष्य स्वयं अपने ही पैरों पे मारता है


पेड़ मानव जीवन का आधार प्रकृति से जुड़ा गहरा रिश्ता है

फिर इस रिश्ते की अहमियत मनुष्य क्यों ना समझ पाता है


इस महामारी के जरिए प्रकृति दे रही हमें पल पल चेतावनी

पर मनुष्य अब भी नहीं समझा कर रहा वो अपनी मनमानी


तस्वीर में भी देखो अगर हरियाली तो मन प्रसन्न हो जाता है

फिर इंसान प्राकृतिक हरियालीको आखिर क्यों उजाड़ता है


पेड़पौधों को काटकर खुद ही हरियाली का विनाश करता है

और उस हरियाली को फिर कुछ तस्वीरों में ढूंढता फिरता है


कोई तस्वीर अगर खूबसूरत हो जाती थोड़ी सी हरियाली से

तो सोचो प्रकृति कितनी सुंदर होगी थोड़ी सी समझदारी से


हम मनुष्यों की ये गलतियां एक दिन काल का रूप ले लेगी

अभी वक्त है सुधरजाओ वरना प्रकृति प्रतिकार ज़रूर लेगी


हम सबको ही करना है सौंदर्य से भरी इस प्रकृति का रक्षण

पेड़ पौधे लगाने से ही हो पाएगा हमारे भविष्य का संरक्षण।


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