STORYMIRROR

Sangeeta Ashok Kothari

Inspirational

4  

Sangeeta Ashok Kothari

Inspirational

प्रकृति एवं इंसानी प्रवृति

प्रकृति एवं इंसानी प्रवृति

1 min
260


भले ही कँकरीट के मध्य छुप गयी ...

पर ये प्रकृति बहुत प्यारी हैं,

भले ही रासायनों की परत से ढक गयी...

पर हरियाली नेत्रों को लुभाती हैं,

भले ही नील गगन में धुंध छायी हैं......

पर सूरज चाँद की रोशनी तो मिलती हैं,

भले ही अपनी चारदीवारी में कैदी हैं....

पर पर कटे परिंदो की तरह नहीं हैं,

भले ही हरेक इंसान वाली हरकत करता नहीं है...

पर आज भी कई बार इंसानियत दिख जाती हैं,

भले ही मेरे तर्कों में आधारशीला नहीं हैं..

पर सच्चाई भी तो इससे परे नहीं हैं,

ये सच हैं,हमने अपनी हानि स्वयं की हैं..

तभी तो अतिवृष्टि,अनावृष्टि की स्तिथि हैं,

तिल तिल प्रकृति को नोच रहे सभी हैं...

पर आजकल प्रकृति हमें नोच रही हैं।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational