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Bhawana Raizada

Romance

5.0  

Bhawana Raizada

Romance

प्रिय

प्रिय

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प्रिय प्रियतमा,

तुम्हारी नैसर्गिक आँखों ने,

जिस दिन से नैनो को दर्श दिए।

सब भूल गए, नैन चूर हुए,

न जाने कितने हमस्वप्न दिए।

तुम्हारे केशों की खुशबू से,

हम प्रिय तुमसे यूँ बंध गए।

हम इनमें उलझ के रह गए,

और तुम मुस्कुरा के चल दिये।


प्रिय तुम अपना आँचल जो,

हवा में लहरा कर चल दिये।

राह में यूँ इंद्रधनुष बिखरा,

हम दीवानगी में मचल दिए।


नज़रअंदाज़ का अंदाज़ प्रिय,

तुम हमको अंजाम कर दिए।

हम हाथ बढ़ाएं तुम्हें पुकारें,

तुम हया में लिपटे गुज़र लिए।

अब इस बेकरारी को थाम प्रिय,

अपने प्रेम की बरसात लिये।

कब आओगे इस उम्मीद में,

न जाने कितने खत लिख दिए।

तुम्हारा प्रिय।


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