प्रिय भाषा हिंदी
प्रिय भाषा हिंदी




संस्कृत की बेटी भई, सुंदर श्यामल रूप
हिन्दी छाँव स्नेह की, मीठी मीठी धूप।
बिंदी भारत की बनी, संविधान अधिकार
देशवासियों सब करो, हिंदी से ही प्यार।
माह सितम्बर में ही क्यों, बस हिंदी का मान
हिंदी रो रो कह रही, हर दिन दो सम्मान।
सुंदर, सुघड़ सुहावनी, मनोहरी है देह
सभी प्रान्त, भाषा करें, हिन्दी से ही नेह।
मोती हिय में हैं भरे, अक्षर अक्षर ज्ञान
बोलो फिर क्यों न करें, हिन्दी का सम्मान।
हिन्दी मे सब गढ़ रहें, दोहे, कविता छन्द
हिन्दी ही महका रही, मधुर सरस रस गंध।
भारत माँ की है बनी, हिंदी से पहचान
गौरवशाली देश की, हिंदी से ही शान।
तुलसी,मीरा बांचिये, सूर और रसखान
सबकी कृतियों में खिली, हिन्दी की मुस्कान।