Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Veena rani Sayal

Abstract

4  

Veena rani Sayal

Abstract

परिवर्तन

परिवर्तन

1 min
373


 समय क्या बदला 

ज़माना बदल गया

जो थे करीब उनकी

फितरत बदल गई 

एहसास अपनेपन का 

कहीं गुम सा हो गया है

हर ज़र्रा

 कायनात का 

अपने में खो गया है


समय क्या बदला

सब ने भुला दिया

यादों के महल देखो 

खंडहर से हो गए हैं

फुरसत किसे है सोचे

कभी वो भी समय था

जमती थीं महफिलें

अब सूनी पड़ी है नुक्कड़ 


समय क्या बदला

इंसानियत बदल गई

दीन और ईमान के

असूल धरे रह गए

जुर्म के कहर से

हैवानियत पसर गई

कौन जी रहा या मर गया

किसी को खबर नहीं 


समय क्या बदला

हया का पर्दा उठ गया

आईना भी देख कर शर्मसार हो गया

मासूमियत कहीं खो गई

बदसलूकियां का मजमा लगा

वक्त का तकाजा है

जैसा भी है कबूल किया

असल में समय बदल गया



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract