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Veena rani Sayal

Abstract

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Veena rani Sayal

Abstract

परिवर्तन

परिवर्तन

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 समय क्या बदला 

ज़माना बदल गया

जो थे करीब उनकी

फितरत बदल गई 

एहसास अपनेपन का 

कहीं गुम सा हो गया है

हर ज़र्रा

 कायनात का 

अपने में खो गया है


समय क्या बदला

सब ने भुला दिया

यादों के महल देखो 

खंडहर से हो गए हैं

फुरसत किसे है सोचे

कभी वो भी समय था

जमती थीं महफिलें

अब सूनी पड़ी है नुक्कड़ 


समय क्या बदला

इंसानियत बदल गई

दीन और ईमान के

असूल धरे रह गए

जुर्म के कहर से

हैवानियत पसर गई

कौन जी रहा या मर गया

किसी को खबर नहीं 


समय क्या बदला

हया का पर्दा उठ गया

आईना भी देख कर शर्मसार हो गया

मासूमियत कहीं खो गई

बदसलूकियां का मजमा लगा

वक्त का तकाजा है

जैसा भी है कबूल किया

असल में समय बदल गया



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