परिंदे
परिंदे
मीलों दूर साथ,
सफर करते हैं,
थकते हैं, रुकते हैं,
फिर चलते हैं।
अपनी मंजिल की,
तलाश खुद करते हैं,
झुंड में परिंदे,
जब चलते हैं।
परिंदे के झुंड को,
देखकर खुद से पूछो,
कितनी हसीन ये,
दुनिया लगती होगी।
जब साथ-साथ चलते हैं,
परिंदे ये सोचकर,
कि साथ में पूरा करेंगे,
जिंदगी का ये सफर।