STORYMIRROR

Abhay Nath Thakur

Abstract

4.4  

Abhay Nath Thakur

Abstract

फिर कभी

फिर कभी

1 min
538


अभी नहीं फिर कभी हम निकलेंगे

अभी रहने दो फिर कभी हम जीतेंगे।

वक़्त है अभी तुम भी संभल जाओ

जहाँ भी हो वही पर रुक जाओ।


माना कि कुछ देर हो जाएगा

मगर वो दिन जरूर आएगा।

जीने को कभी निकले थे

जीने को फिर निकलेंगे लेकिन

अभी नहीं फिर कभी हम निकलेंगे

अभी रहने दो फिर कभी हम जीतेंगे।


माना कि कभी सोचा नहीं था

ऐसे दिन भी आएंगे

हर कोई अपने ही घर में

खुद से कैद हो जाएंगे !


मानो ये कोई रोग नहीं

ये तो एक लड़ाई है

खुद से खुद को समझा लो

इसी में सब की भालाई है !


पहली बार इस जीवन में 

ऐसी लड़ाई देखा है

खुद को कैसे पेश आए

ऐसा हमने सीखा है।

अभी नहीं फिर कभी हम निकलेंगे

अभी रहने दो फिर कभी हम जीतेंगे।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract