प्रीत का मौसम
प्रीत का मौसम
आलिया के बाबा शराब पीकर मां को बहुत मारते थे, एक दिन इतना मारा कि चल बसी, और बाबा शराब ज्यादा पीने से मर गए। चाचा ने पाला, लेकिन मां-बाप की कमी हर समय खलती। अपने बलबूते पर पड़ी, स्कूल पास करके कालिज गई, खूबसूरती इश्वर ने पूरे मन से दी थी, जो भी देखे होश खो दे, रवनीश भी उनमें से एक था, किसी ना किसी बहाने आलिया से बात करने की कोशिश करता, मगर आलिया किसी से भी ज्यादा बात ना करती, बचपन से ही ऐसी सहमी-सहमी सी थी। रवनीश ने आलिया से दोस्ती करली, लेकिन फिर भी आलिया को ना बदल पाया।
एक दिन रवनीश, " आलिया तुम ऐसे चुपचाप क्यों रहती हो कोई परेशानी हो कहो, हम दोस्त हैं, चलो कैंटीन चलते हैं", रवनीश आलिया को कैंटीन ले जाता है, आज रवनीश ने भी ठान लिया कि वो आलिया के चेहरे पर मुस्कराहट लाके रहेगा।
रवनीश की दोस्ती रंग लाई, आलिया ने सबकुछ अपने बारे में बताकर मन का बोझ हल्का किया, अब वो रवनीश के साथ बहुत खुश रहती, धीरे-धीरे सबके साथ अच्छे से बात करने लगी , सबके साथ हंसती-खेलती।
रवनीश कब आलिया के इतने करीब आगया कोई ना समझ सका। फ़रवरी का महीना प्यार करने वालों के लिए प्रीत भरा सुहाना मौसम।
वैलेंटाइन डे,सभी हाथों में गुलाब लिए घूम रहे हैं, रवनीश भी लाया है, आलिया के लिए "आलिया मैं तुमसे बेइंतहा मोहब्बत करता हूं, मैं ये नहीं कहता कि चांद- तारे तोड़कर लाऊंगा, लेकिन तुम्हारे जीवन में हर पल खुशी का ज़रूर लाऊंगा"
"रवनीश इस जीवन पर तुम्हारा ही हक है, अब तक मेरे जीवन में केवल पतझड़ के ही बादल थे, बाहर तो तुम लाए हो, तुम आए तो मेरे जीवन में प्रीत का मौसम आया, तुम्हीं मेरे प्रीतम हो"
और आलिया रवनीश के गर्म लबों पर अपने सुर्ख होंठ रखकर प्यार की मोहर लगा देती है ।