परी की कहानी
परी की कहानी
माँ कभी बचपन में
सुनाती थी परी की कहानी।
दिल को जो छू जाती
लगती थी वो सुहानी।
एक राजकुमार जो सदैव
परी के साथ में रहता था।
उसकी हर इच्छा को सुनता
हर पल खुशियाँ देता था।
सपनों का महल स्वर्ग सा
खुशियाँ झोली भर देता था।
मन में प्रफुल्लित अंकुर को
एक नयी उड़ान अंजानी।
माँ कभी बचपन में
सुनाती थी परी की कहानी।
दिल को जो छू जाती
लगती थी वो सुहानी।
तुम्हारी परी की बगिया में
एक राजकुमार ने दस्तक दी।
मुख मुस्काती इस लाड़ली को
अश्रु धारा उपहार में दी।
मन मस्तिष्क पर पड़े निशां
हाथों की चूड़ी जो मसल दीं।
कुछ बचा न कोई अपना
मेरी दुनिया उजड़ गयी।
मार पीट के नित्य नये रूप
कभी रस्सी कभी आगजनी।
क्यों सुनाई तुमने माँ मुझे
बचपन में परी की कहानी।
दिल को जो दर्द देती है
सच्चाई जिसने न जानी।