प्रेमी दिल।
प्रेमी दिल।
बिछड़ते हैं जब दो प्रेमी,तो तड़प उठता है यह प्रेमी दिल।
सुकून मिलता है थोड़ा सा,रो लेने से यह दिल घायल।।
छाया अंधकार इस जीवन में, हुआ जीना अब बड़ा मुश्किल।
जुदाई के इस आलम में,तुम बिन सूनी पड़ी मेरी महफिल।।
तरसती हैं ये आंखें, पाने को वह खुशनुमा चेहरा।
मिसरी सी तेरी बोली, सुनने को हुआ अब बेकल।।
याद करते ही उन लम्हों को, हौसला देते हैं मिलने को।
तेरी उन खाई कसमों से, उम्मीद न छोड़ी किसी भी पल।।
तुम्हारी याद में रो-रो कर, कभी लिखकर तुम्हारे गीत।
सदा ही गुनगुनाता रहता, मिलेंगे कभी तो प्रेमी दिल।।
मिलें हम जब भी तुमसे, न जाना फिर कभी दिल से।
रखूंगा सदा बनाकर अपना, न होगी हसरत न कोई मंजिल।।
खुदा गवाह हम दोनों का, पाक रिश्ता है दो दिल का।
बिछड़ कर भी कम न होगी, चाहत हमारी है जिंदा दिल।।