प्रेम
प्रेम
तुम करलो समर्पण प्रेम का, नफरत बढ़ता जाए रे।
टूट रहे हैं परिवार सभी, विपदा घर घर छाए रे ।
भाई भाई प्यार नही है, मात पिता अधिकार नही है।
कुत्ते बिल्ली सोये बिस्तर, कोई सत्कार नही है।
आओ हम मिल रीत बनाएं, हँस कर रिश्ता गाये रे।
तुम करलो समर्पण प्रेम का, नफरत बढ़ता जाए रे।।