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Vikas Sharma

Romance

4  

Vikas Sharma

Romance

प्रेम

प्रेम

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प्रेम ईश्वर है, प्रेम शाश्वत है, प्रेम आकार से परे है 

जिस्म का प्रेम -प्रेम नहीं एक भूख एक जरुरत है 

असली प्रेम है एक दुसरे के दर्द को समझना

अहसास को समझना -भावनाओं को समझना 


प्रेम ईबादत है -प्रेम भक्ति है -प्रेम श्रद्धा और समर्पण है 

प्रेम श्रंगार है -प्रेम रस है और प्रेम ही पूजा है 

प्रेम से दो पराये -दो मुल्क एक हो जाते हैं 

प्रेम गंगाजल की तरह पवित्र है 


प्रेम है तो जीवन में रंग है वर्ना जीवन बेरंग है 

प्रेम एक बहती हुई धारा है जिसमें

नहा कर व्यक्ति पवित्र हो जाता है।


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