प्रेम
प्रेम
प्रेम वो शब्द है
जो इस संसार को जोड़ता है,
प्रेम के बिना यह संसार भी
अधूरा सा लगता है।
कोई प्रेम को फरेबी बोलते हैं
तो कोई बोलते हैं धोखा,
इसमें प्रेम की क्या गलती है
किसने किसको प्रेम स्वीकार करने से रोका ?
प्रेम की बोली सबको समझ में नहीं आती
समझना हो तो गहराई में जाओ जनाब,
प्रेम को कोई समझे या ना समझे
प्रेम कल भी बर्बाद था आज भी बर्बाद है जनाब ।
कोई प्रेम को तो पूछो
उसको क्या चाहिए ,
प्रेम को समझने के लिए
एक बार सच्चा प्रेम तो कीजिए ।
प्रेम ही वह मार्ग है जो भगवान से मिला सकता है
एक बार प्रेम तो कीजिए सच्चे मन से,
ऊपर वाले तक का रास्ता
यह प्रेम ही दिला सकता है।

