प्रेम
प्रेम
खींचता है प्रेम तुम्हारा, मुझे तुम्हारी ओर
सिवा तुम्हारे मैं न पाऊं, और कहीं भी ठोर।।
सुन पतंगे तू है पागल, कर न यूं खुद को घायल
जल के होगा राख सुन तू, जो आयेगा इस ओर।।
सुन शम्मा ओ बावरी, तुमसे है नाता प्रीत का
पा लिया गर तुमको, होगी उजियारी भोर।।
शम्मा से होगा मिलन, दिल में यही अरमान है
प्रीत का आगे मेरा, चलता न कोई जोर।।
प्रीत हो सच्ची अगर, मरकर भी हासिल होती
शम्मा तू है पहली बारिश, मैं हूं प्यासा चकोर।।