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Manisha Sharma

Inspirational Others

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Manisha Sharma

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प्रेम प्रकृति की सोगात

प्रेम प्रकृति की सोगात

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आहिस्ता आहिस्ता

हमारे हाल पर एक शख्स छोड़ गया

दिल झगड़ा ना कर सका तो रो गया

तब तुम यकीन मानना खुद पर,

जब सब चयन कर रहें होंगे 

पहाड़ों और नदियों में से  

     खुली सड़कों और गलियों में से 

       कविताओं और संगीत में से 

तब तुम खामोशी से चुनना "स्वयं को "

   क्यों की,

महज चिट्ठियों, कविताओं और प्यारे फूलों ने 

बचा रखा है प्रेम दुनिया में

   प्रेम को जिंदा रखा है कोरे कागजों पर स्याही के सुंदर गहनों ने,

पहाड़ों, नदियों व सुखी पत्तियों ने

तो तुम यकीन मानना खुद पर,

तुम्हें इन सबको इकट्ठा करना है 

और एक दर्द की लहर उठाना है

     मैंने सूखी पत्तियों को प्रेम का प्रतीक माना है 

    पत्तियों से प्रेम किया है जो जरा से 

झोंके पर तुम पर आ गिरेगी 

अगर वो बटोरी गई तो जलाई जाएगी,

अगर नहीं तो सड़ जायेगी 

जली हुई राख, सड़ी हुई खाद दोनों

जन्म देगी

      एक नए पौधे को.....


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