प्रेम नहीं हुआ
प्रेम नहीं हुआ
प्रेम अब नहीं होता
प्रेम की तरह किसी को
हृदय के कपाट खुलने से पहले
बुद्धि के द्वार खुल जाते हैं
एक सुन्दर लड़की औकात देखकर
जांच परख कर ही प्रेम स्वीकार करती है
इसे प्रेम कहते हैं या बुद्धिमानी
प्रेम तो हुआ ही नहीं
बस प्रेम पर बुद्धि से चर्चा भर हुई
और कहा गया कि मैं प्रेम करता हूं।