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Rekha gupta

Abstract

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Rekha gupta

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प्रेम मिलन

प्रेम मिलन

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अम्बर के चाँद तारों,दो आशीर्वाद 

महबूब मेरा है,मेरी बांहों में 

मिले हुए हैं दिल से दिल 

बहारो वाली चांदनी रात में। 


खुले आसमां के तले आज 

हम दोनों का प्रेम मिलन 

साक्षी होगी चांद तारो की बारात 

अटल बनेगा ये प्रेम बंधन। 


हम दोनों के प्यार पर आज

मंद मंद मुस्कुरा रहा है चांद 

झिलमिला रहे हैं तारे भी 

खूबसूरत हुआ ये जहां आज। 


खुशबू से हमारे प्यार की 

खुशनुमा हो गई फिजा भी 

भीगा भीगा सा ये समां 

आ रहा है जीने का मजा भी।


चांद तारे सजाते हैं आसमां को 

देते हैं शीतलता सारे जग को 

आंखो की चमक और मुस्कराहट से तेरी 

सजाता हूँ मैं भी,अपने हर पल को ।


ये फलक के चमकते चाँद तारे

और सितारो की हसीन महफिल

माना कि खूबसूरत हैं बहुत,पर 

मुझे अच्छा लगता है,साथ तुम्हारे बस।


हाथों में हाथ, एक दूसरे का साथ 

खामोशी भी कर रही है बात 

जी लो आज इन हँसी लम्हों को 

क्या पता कल हो न हो ये हसीं साथ। 


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