प्रेम क्या है
प्रेम क्या है
प्रेम वो नहीं जो कह कर,
दिखाया जाये,
प्रेम वो है जो छुप कर,
निभाया जाए...!
प्रेम वो आग है जिसे,
कभी ना बुझाया जाए,
प्रेम वो सुकून है जिसे,
कभी ना। छोड़ा जाये....!
प्रेम वो एहसास जो हमेशा,
महसूस किया जाये,
प्रेम वो मंदिर है जिसकी,
रोज पूजा की जाये...!
प्रेम वह घर है जहां लोग,
खुशियों से जीते जाये...!
जिसकी अनभूति आँखों को नम्र करे,
मैं और तू को हम करे,
ह्रदयांतर को कम करे,
पत्थरों को भी कम करें,
वही प्रेम है....!
एकांत के शोर को सुन लें,
सपनों से पहले हकीकत को बुन ले.. !
उनसे पहले खुद से मिल ले,
टूटे बंधन को फिर से सिल ले,
वही प्रेम है...!
ओस की बूंदों सी राहत दे जाये
अंदर ही अंदर आहट दे जाये....!
धूप में कोमल छावं दे जाये,
इसी भागते शहर से ठहरे गांव ले जाये,
बस वही प्रेम है...!