बारिश की बूंदे
बारिश की बूंदे
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सर्दी की बारिश जैसी,
हो चली है मेरी कविताएं..!!!!
जो मन को धरा को भिगोती तो है,
पर चित की प्यास को नहीं बुझा पाती है...!!!
मन की उर्वरा पर,
विचारों की फसलों को,
उगने से पूर्व ही,
नष्ट कर देती है...!!!!
प्रतीक्षा है,
ठिठुरते भावों को,
मौसम के करवट लेने की,
इन बारिश के बूंदों को,
अमृत बनने की....!!!
