STORYMIRROR

Priya Tiwari

Abstract Romance Fantasy

4  

Priya Tiwari

Abstract Romance Fantasy

दिलों की साजिशें

दिलों की साजिशें

1 min
6

नम आंखों ने साजिश की,

 और फिर उलझ बैठे हम,

उनको सही और खुद को,

 फिर से गलत समझ बैठे हम,..!!!  


ये दिल मजबूर हुआ,

 फिर से उन्हें एक बार चाहने को,

हमारे बीच की उलझनों को,

 अकेले ही सुलझाने को...!!!!


अपनी चाहतों से भी समझौता,

 करने को तैयार हुए हम,

ऐसा लगा जैसे दो नावों पर 

एक ही साथ सवार हुए हम,....!!!!


अपने हालातो से उबरे ना थे,

 उन्हे भी संभालना हुआ,

अपने जज्बातों को किनारे कर,

 उन्हे समझाना जरूरी हुआ....!!!!!


उनके दिए जख्मों पर उनके,

 नाम का ही मरहम लगा बैठे हम,

नम आंखों ने साजिश की और ,

फिर उन्हीं से दिल लगा बैठे हम....!


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract