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Piyush Goel

Abstract

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Piyush Goel

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प्रेम की परिभाषा

प्रेम की परिभाषा

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प्रेम की परिभाषा देने के लिए अल्फ़ाज़ नहीं है

प्रेम की जो व्याख्या कर दे , वो शब्द मेरे पास नहीं है

मानव के जीवन का सार प्रेम है

श्री कृष का अवतार प्रेम है

शहद से मिठी है जो वो प्रेम की वाणी है

प्रेमी मर गए पर अमर रही हर किसी की प्रेम कहानी है

अपने से पहले किसी और कि चिंता करना प्रेम है

अपने से ज्यादा किसी और का ख्याल रखना प्रेम है

प्रेम अधिकार नहीं , प्रेम समर्पण है

प्रेम ही है जिससे सफल होता जीवन है

गंगा से पवित्र प्रेम है

विधाता का चित्र प्रेम है

प्रेम है जो गलतियों को नज़रंदाज़ करता है

प्रेम है जो सामने वाले को क्षण में माफ करता है

प्रेम की परिभाषा क्या लिखूं , मैं ना जानूँ

प्रेम क्या होता है, मैं ना पहचानूँ



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