पत्नी का अधिकार
पत्नी का अधिकार
एक दिन मैंने सपना देखा
पत्नी ने बटुआ निकाला
पांच सो का नोट लिया और
सो का नोट था उसमे डाला।
पता चला तो मैंने बोला
मेहनत से हैं हम कमाते
एक ही पल में ये पैसे
बटुए में से तुम उड़ाते।
बीवी बोली मेरा हक़ है
मेरा भी सम्मान है
तुम मुझे गर चोर समझो
ये मेरा अपमान है।
उस दिन मुझे न मिला नाश्ता
खाना बाहर से मंगवाया
पत्नी कमरे में गयी और
ताला अंदर से लगाया।
मैंने तब माफ़ी थी मांगी कहा
मुझसे थी गलती हो गयी
पता नहीं मेरी ये अकल
उस दिन कहाँ थी खो गयी।
बटुआ अपना न तुम समझो
ये पत्नी का अधिकार है
अपने हाथों से उसे दे दो
गर जिंदगी से प्यार है।
