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Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract

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Dhan Pati Singh Kushwaha

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अनकहे रिश्ते

अनकहे रिश्ते

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नाम दे दिया हो रिश्तों को, या रिश्ते अनकहे रहें

बड़े यत्न से उन्हें निभाएं, निर्झर प्रेम का सतत् बहे।


प्यार मूल में सब रिश्तों के, यह सबका आधार है 

रहे प्यार जब तक रिश्ते में, हर सपना साकार है

प्यार में प्यारी जीत लगे और प्यार में प्यारी हार है

प्यार में गहराई रिश्ते की, और तीव्र मधुरता प्यार  है

जब तक प्यार मधुर हैं रिश्ते, घटे प्यार तो रिश्ता ढहे

नाम दे दिया हो रिश्तों को।


शक से रिश्ते निर्बल होते, शक से इनको सदा बचाना

करके बात मिटाना शक को, शुद्ध हृदय संबंध निभाना

रिश्ते जीवन में बड़े जरूरी, चाहे जो कुछ कहे जमाना

खुशहाली चहिए जीवन में, हर रिश्ते को है अपनाना

जीवन में तब तक रहे मधुरता, जब तक रिश्ता मधुर रहे

नाम दे दिया हो रिश्तों को।


मिल जाए नाम सभी रिश्तों को, ये तो नहीं जरूरी है

ढोते देखे खास भी रिश्ते,  जैसे कुछ मजबूरी है

रिश्ते बने हो जो भावों से, जो बिन भाव अधूरी है

प्रेम बांधकर रखता रिश्ते, अगर भावना पूरी है

रिश्ते नीव हैं खुशहाली के, उपलब्धि ये अमर रहे

नाम दे दिया हो रिश्तों को।


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